Wednesday, March 6, 2024

अपने भाव


 अपने भाव 






 विचार के बीच से ही कर्म का फल बनता है। इसीलिए सिर्फ शुद्ध विचारों के ही बीज बोने चाहिए। जैसे कि श्रेष्ठ फल की प्राप्ति हो सके। हम क्या करते है इसका महत्व कम है ,परतुं उसे हम किस भाव से करते है इसका महत्व बहुत है। 

अंदर के भाव मे बड़ी ताकत होती है। जेसे भाव होते है वेसे कर्मबंदन होते है।  हम कोई भी क्रिया करते है, उसमे भी जेसे भाव होंगे वेसा ही फल मिलेगा।

जेसे हम जो बोलते हे वो सामने वालेको पता चलता है , जो हम क्रिया करते है वो दिखाई देता है, पर हमारे अंदर जो विचार चल रहे है वो किसी को भी दिखाई नहीं देते हे,पर उसी भाव से कर्म a/c बनता है 

 जेसे सुबह में हमने चाय बनाई, गरम गरम चाय हमने कप पे निकाली और  अचानक फोन आ गया और हम ने ये सोचा के चाय तो मुझे गर्म ही पसंद हे, चाय ठंडी न हो जाय इसलिए हमने उसे ढक दी, ताकी हम बादमे गर्म चाय पी सके। .. ये हो गया हमारा एक भाव। ... अब इसकी जगह हम ये सोचे की "अरे! चाय बहोत गरम हे खुली रह गई तो कुछ जीवजंतु उड़के चाय में गिरके मर जायेगा तो उस जीव को बचाने के लिए हम ने चाय ढक दी।  ये हो गया हमारा दुसरा भाव। ... 
अब आप ही सोचो कोनसे भाव मे हमे पुण्य मिल सकता हे ??
पहले भाव मे हमने हमारे बारे मे सोचा,  हमारे मन के बारे मे ,हमारे मन को ठंडी चाय पसंद नहीं थी। ... पर दुसरे मे हमारे भाव दूसरे जीवो के बारे मे सोच रहा था इसलिए हमारा कर्म  (पुण्य) यही पर अच्छा बन जाता है। बात तो एक ही थी चाय को ढक देना, पर मन के भाव अलग- अलग थे इसलिए जो भी कर रहे हो पहले भाव को देख लेना चाहिए। 
हम सब ने ये अनुभव किया ही होगा की हम अचानक किसी के घर बीन बताये चले गए और सामने वाले ने भी बहुत  मीठे शब्द मे welcome किया, खाना भी खिलाया और ख़ुशी से बात भी कर रहे हे, पर कहीना कही हमे अच्छा महसूस नहीं हो रहा। ..और सोचते हे जल्दी चले जाय। ..वो इसलिये होता हे क्योकि वो व्यक्ति किनता भी मीठा बोले पर उनके मन मे अलग भाव चल रहे थे, तब वो मन से यह सोच रहा था....ये लोग ऐसे केसे बिना बताये आ गए!  मुझे अब उनके लिए खाना भी बनना पड़ेगा, ख्याल भी रखना पड़ेगा, मुझे तो कल सुबह जल्दी उठाना था अब late हो जायेगा।।अब मेरा पूरा दिन ख़राब हो जायेगा !ऐसे कुछ विचार चल रहे होते हे, तब हमें ऐसा कुछ महसूस होता हे। .. जो महसूस होता हे वो हम दिखा नहीं सकते पर ये सब मन के भाव ही होते हे जो कभी दिखाई नहीं देते हे पर आप उसे महसूस कर सकते हो 
ये अंदर के भाव थे, वो सामने से तो अच्छे से बात कर रहे है पर मन के भाव में कुछ और, तो अब यह सोचो कर्मा कोनसा बनेगा? 
 इसीलिए जेसे भाव आएंगे वेसा ही फल हमें मिलेगा! जिस दिन आपके अंदर उच्च विचार आएंगे तभी आपके अंदर के भाव बदल जाएगे और हम हर पल अच्छे कर्म कर सकेंगे। मन के भाव ही हमारे कल को बदल सकते है. जिस दिन हम ने हमारे भीतर देखना शुरू कर देंगे हमारा कर्मा बदल जायेगा। हमारे किये गए कार्य का फल भी हमें अच्छा ही मिलेगा बस जरुरत है तो हमारे अंदर के भाव को देखने की समझने की 

आप सभी से छुपा सकते है पर कर्म आपको देख रहा है ,
बस आप ये याद रखे की यह आपके और दुसरो के बीच नहीं ! पर हमेशा आपके और कर्मा के बीच है. कर्म - बोल और व्यवहार में नहीं। उसके पीछे की सोच और भावना में है.श्रेष्ठ भावना ही श्रेष्ठ भाग्य बनाती है। 

APPS.

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  अपने भाव     विचार के बीच से ही कर्म का फल बनता है। इसीलिए सिर्फ शुद्ध विचारों के ही बीज बोने चाहिए। जैसे कि श्रेष्ठ फल की प्राप्ति हो सके...